आंखों देखी से आत्मा देखी दुनिया तक – आत्मा की सच्ची यात्रा
"ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा", आनंद में जियो और चलते रहो — इस तरह की असत्य धारणाएं आज हर जगह देखने को मिलती हैं।
सत्य:
पुण्य हो या पाप, कर्म का फल कभी निष्फल नहीं जाता।
आज दुनिया में भौतिक, लौकिक उपलब्धि को ही उन्नति समझा जा रहा है।
उसकी प्राप्ति के लिए अपराध तक कर बैठते हैं।
न मिलने पर आत्महत्या भी कर लेते हैं।
लालसा के कारण अशांति, असंतोष, दंभ, पाखंड की वृद्धि हो रही है।
इन सबका कारण — आत्मा की अनभिज्ञता और परलोक में विश्वास न होना है।
शास्त्रों की पुष्टि
हमारे शास्त्र,
वेदों से लेकर आध्यात्मिक दार्शनिक ग्रंथों तक — सभी ने इसकी पुष्टि की है।
आत्मा है या नहीं?
इस पर कईयों को शंका है।
संसार में सुख, दुख, अमीर, गरीब, बीमारियां —
जो भी है, यह सब बिना कारण के नहीं है।
कर्म को भोगने के लिए आत्मा बार-बार जन्म-मरण के चक्र में आती है।
बापूजी का गहन दृष्टिकोण
गुजरात के बापूजी दशरथ भाई पटेल बताते हैं —
अनंत ब्रह्मांड में आत्माएं भरी पड़ी हैं।
मनुष्य जब तक माया से परे नहीं जाएगा, आत्मा की दुनिया को नहीं जान पाएगा।
आत्मा = Conscious Energy
जो हमेशा जागृत है।
शरीर तो आत्मा का कर्म करने का साधन मात्र है।
आत्मा को केवल आत्म स्वरूप में रहकर ही जाना और अनुभव किया जा सकता है।
आत्मा के अंदर मन, बुद्धि और संस्कार है।
आत्मा स्वयं निष्कलंक होकर मन के द्वारा शरीर को चलाती है।
करोड़ों वर्षों से जन्म–मृत्यु के चक्र में आती-जाती आत्मा पर कई जन्मों के कर्मों का आवरण चढ़ गया है।
मृत्यु के बाद की यात्रा
जल और मिट्टी तत्व का शरीर धरती पर छोड़कर
आकाश, वायु, अग्नि से बना सूक्ष्म शरीर और कर्म शरीर के साथ आत्मा की यात्रा शुरू होती है।
आत्माएं अलग-अलग हैं और उनके रचनकर्ता भी अलग-अलग।
कुछ आत्माएं सिर्फ आकाश तत्व से बनी हैं, कई वायु, अग्नि, प्रकाश से बनी हैं।
इसमें भी शक्ति के अनुसार अनेक कला (powers) वाली आत्माएं होती हैं।
जितनी ज्यादा कला, उतनी उच्च गुणवत्ता।
आत्मा अपनी रचनाकार तक जाने की यात्रा में विभिन्न आयामों और वातावरण के अनुसार विभिन्न शरीर धारण करती जाती है।
इसी को कहा है —
“यथा ब्रह्माण्डे तथा पिण्डे”
आज की स्थिति
आज आत्मा तमोप्रधान होने से वातावरण भी तमोगुणी हो गया है।
प्राकृतिक आपदाएं घटने लगी हैं।
हर आत्मा कष्ट में है।
आत्म-जागृति का प्रश्न
हर आत्मा को यह जानना आवश्यक है:
मैं कौन हूँ?
मेरा रचनाकार कौन है?
मेरी यात्रा कहाँ से शुरू हुई और कहाँ समाप्त होगी?
समाधान
इस ज्ञान के लिए देखिए:
Bapuji Dashrath Bhai Patel YouTube Channel
परमशांति