Digital Karma क्या होता है ?
हर ऑनलाइन कर्म एक संस्कार बनता है – बेहद के बापूजी का दैविक ज्ञान
आज का युग डिजिटल है।
हर दिन अनगिनत चीजें फोन और इंटरनेट के माध्यम से करते हैं —
किसी की तारीफ़, कोई पोस्ट शेयर करना, वीडियो देखना या कमेंट करना।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि...
आपका हर क्लिक, हर सोच, हर ऑनलाइन किया — आपकी आत्मा पर असर डालती है?
जी हाँ,
हर डिजिटल इंटरैक्शन एक सूक्ष्म संस्कार बन जाता है।
सूक्ष्म शरीर पर डिजिटल संस्कार
जो कुछ भी आप देख रहे हैं, पढ़ रहे हैं, सुन रहे हैं,
वह सब कुछ आपके सूक्ष्म शरीर में रिकॉर्ड हो रहा है।
यह रिकॉर्डिंग कोई मशीन नहीं करती...
बल्कि Cosmic Internet, यानी ब्रह्मांडीय ऊर्जा का नेटवर्क —
हर कर्म, हर भाव को आपके सूक्ष्म शरीर में बिठा देता है।
यही है —
"Digital Karma"
जो आपके भविष्य को आकार देता है।
आपकी स्क्रीन — आपका भविष्य
हम सोचते हैं कि स्क्रीन के सामने हम अकेले हैं।
कोई नहीं देख रहा।
लेकिन आत्मिक दृष्टि से देखा जाए तो —
हर online कर्म, ब्रह्मांड में संजोया जा रहा है।
बापूजी के परम ज्ञान अनुसार —
आपकी स्क्रीन ही आपकी आत्मा की दिशा तय कर सकती है।
बेहद के बापूजी का दैविक संदेश
बापूजी बताते हैं —
“जो भी आप आंखों से देखते हो,
वह मात्र एक सेकेंड में,
दूसरे की अनंत काल की पापपूर्ण ऊर्जा
आपके सूक्ष्म शरीर में ट्रांसफर हो सकती है।”
यानि —
सिर्फ देख कर भी पाप या पुण्य अर्जित कर सकते हैं।
आत्मा को कैसे बचाएं?
इसलिए आज के समय में आवश्यक है कि:
स्वयं को देखें — आत्म-परीक्षण करें
आत्मा को पहचानें — मैं कौन हूँ
आत्म स्वरूप चिंतन में रहें
हर कर्म करें परमपिता परमात्मा की याद में
तभी —
आपका हर कर्म श्रेष्ठ और मुक्तिदायक बन जाएगा।
आप कर्म के बंधनों से छूटने लगेंगे।
यही सत्य है
यही सत्य है, जब हम
इस बहुमूल्य मानव जीवन को श्रेष्ठ बना सकते हैं।
यही सत्य है,
जब हम सिर्फ अपने लिए नहीं,
संपूर्ण विश्व कल्याण की सोच रख सकते हैं।
परमशांति विचारों के साथ,
अपने Digital जीवन को भी
एक आध्यात्मिक यात्रा बनाएं।
निष्कर्ष:
हर ऑनलाइन कर्म एक बीज है।
वह बीज या तो अंधकार बोता है, या प्रकाश।
अब चुनाव आपके हाथ में है।
|| बेहद के परमपिता बापूजी का ज्ञान ||