Who Really Gave the Gita? Krishna Spoke, Almighty Sent the Knowledge

बेहद के बेहद की परम परम महाशांति है।

परमशान्ति।

गीता में श्रीकृष्ण ने बोला था कि हे अर्जुन तुम परम पद को प्राप्त करना चाहते हो तो तुम परमतत्वों को सूर्य की भाँति अपने अन्दर प्रकाशित कर लो फिर तुम जीवन और मृत्यु से ऊपर चले जाओगे और परम पद को प्राप्त करोगे। भक्ति मार्ग वाले बोलते हैं कि राम और कृष्ण, विष्णु के अवतार थे। कोई कहता है, ब्रह्म के अवतार थे। भक्ति मार्ग में ब्रह्म, शिव को कहा गया है। कोई कृष्ण को शिव का अवतार कहते हैं। परन्तु परमसत्य यह है कि कृष्ण Almighty authority का अवतार है।

Almighty authority ने हमारे ब्रह्मांड में कृष्ण द्वारा गीता का ज्ञान दिया कि तू मुझे याद कर। मुझे माना Almighty को याद कर। "सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणम" अर्थात सारे धर्मों को छोड़कर मेरी शरण में आ तो मैं तुझे कहाँ ले जाऊँगा मैं मतलब आलमाइटि से है। जहाँ आलमाइटी स्वयं रहता है ऊँच से ऊँच परमधाम में। गीता में कहा गया है कि मैं जप तप ध्यान से नही मिलता बल्कि मैं ज्ञान से मिलता हूँ। इसलिए मुझे ज्ञानी तू आत्मा विशेष प्रिय है। जो मुझे ज्ञान से जानता है उसे दिव्य ज्ञान और दिव्य दृष्टि आती है और अन्तिम समय में, मैं उसको ऊँच से ऊँच परमधाम में ले जाता हूँ। मैं मतलब almighty से है..कृष्ण से नहीं। कृष्ण तो एक speakar एक messenger है। हमे speaker को याद नहीं करना हमें तो उसके द्वारा जिस Almighty ने ज्ञान दिया उस Almighty को याद करना है। Almighty ने raise

द्वारा कृष्ण से गीता ज्ञान बुलवाया। अगर हम कृष्ण को याद करेंगें तो हमें वो वहाँ तक ले जाएंगे जहाँ वो स्वयं रहते हैं। इस परमधाम के गोलक धाम तक परन्तु Almighty authority बेहद के बाप को याद करने से ही पाँच तत्व परमतत्व में परिवर्तित और प्रकाशित हो जाते हैं तथा Almighty जन्म मरण के चक्र से छुड़ाकर अमरलोक ले जाते हैं।

परमशान्ति।

परिवर्तन के लिये बापूजी के बेहद के ज्ञान की ज्यादा विस्तृत जानकारी एवं अन्य ज्ञान सम्बंधित topics के लिये आप हमारे लिंक..

पर देख व सुन सकते हैं!!

परमशांति..!!

Previous
Previous

What Are Vibrations Made Of? The Secret of Soul, Elements, and Thought Power | Behad Gyan

Next
Next

ज्ञान ही जीवन है: आत्म परिवर्तन से विश्व परिवर्तन तक का मार्ग