पूरे विश्व को परमशांति कैसे मिलेगी? — बापूजी का संदेश

विषय: पूरे विश्व को परमशांति कैसे मिलेगी? — बापूजी का संदेश

संपूर्ण विश्व को परमशांति देने का मार्ग

संपूर्ण विश्व को परमशांति देने के लिए विचार-क्रांति (Thought Revolution) आवश्यक है। और यह क्रांति आरंभ हमें स्वयं से करनी होगी। इसके लिए गहन आत्मबल चाहिए।

ज्ञान को प्रकाश कहा गया है। ज्ञान-प्रकाश से आत्मा की पहचान होती है —

“मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ, धरती पर क्यों हूँ, सृष्टि-रचना का क्या ज्ञान है और जीवन का लक्ष्य क्या है।”

ज्ञान ही परिवर्तन का आधार है और ज्ञान ही आत्म-परिवर्तन का साधन है।

आत्म-परिवर्तन और परमशांति

विश्व-परिवर्तन के लिए आत्म-परिवर्तन आवश्यक है, क्योंकि विश्व बना है व्यक्ति से और व्यक्ति बना है उसकी सोच और विचार से।

सबसे पहले हमें आत्मा की शक्ति जागृत करनी है।

आत्मा में अन्तःस्थित मन-बुद्धि और संस्कार को ज्ञान से रूपांतरित कर आत्मस्वरूप बनना है।

इस आत्मस्वरूप की साधना करके धीरे-धीरे परमशक्ति प्राप्त होती है।

परमशक्ति के चित्र

महान अवतारों और महापुरुषों की याद हमें यह शक्ति दिलाती है।

जैसे —

श्रीकृष्ण में 16 कलाएँ थीं

श्रीराम में 14 कलाएँ थीं

‘सुप्रीम’ का अर्थ

‘सुप्रीम’ का मतलब है — सर्वोच्च, अनंत, असीम।

सुप्रीम शक्ति आत्मा की सबसे ऊँची स्थिति है।

जब आत्मा अपने सुप्रीम स्वरूप की याद करती है, तब उसकी ही पॉवर जागृत होती है।

आत्मा से परिवार और विश्व में शांति

जब आत्मा में शक्ति जागृत होगी तो उसके वाइब्रेशन चारों ओर फैलेंगे।

सबसे पहले ये वाइब्रेशन सूक्ष्म शरीर में फैलेंगे।

फिर आत्मा की आभा (Aura) बदलेगी।

कई जन्मों के रिकार्ड, जो स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर के बनने से बने हैं — धीरे-धीरे मिटने लगेंगे।

आत्मा आत्मस्वरूप बनकर परिवर्तन करेगी और उसकी आभा में परमशांति आ जाएगी।

जब आत्मस्वरूप में परमशांति के संकल्प जागेंगे, तो वाइब्रेशन से विश्व-शांति फैल जाएगी।

परिवेश और समाज पर प्रभाव

पहले आत्मा अपनी आभा (Aura) को शांति से भर देगी।

फिर घर में शांति फैलेगी।

घर के लोग अनुभव करेंगे।

समाज में भी वाइब्रेशन जाएंगे।

चारों ओर परमशांति की लहरें फैलेंगी।

प्रकृति के पंच तत्व धीरे-धीरे शुद्ध होंगे और पूरी धरती पर परमशांति होगी।

साधना का सार

परमशांति की साधना से आत्मा की शक्ति बढ़ेगी।

निरंतर योगबल से आत्मा अपने परमात्मा से कनेक्ट होकर आत्मस्वरूप बनेगी।

फिर यह आत्मा वाइब्रेशन के द्वारा दूसरों तक परमशांति पहुँचाएगी।

आत्मा ही परमात्मा है क्योंकि आत्मा ही परमात्मा की संतान और रचना है।

जब विचार-क्रांति होगी, तो सबके अंतर्मन में उत्थान होगा।

आत्मस्वरूप बनने से दिव्य दृष्टि खुलेगी और धीरे-धीरे आत्मा में दिव्य गुणों का संचार होगा।

अन्ततः पृथ्वी पर “सुप्रीम लाइट” प्रकट होगी और सच्चा स्वर्ग, सच्चा परमधाम यहीं पर होगा।

बापूजी का ज्ञान-स्रोत

परमशांति का यह गूढ़ ज्ञान आप बापूजी दशरथभाई पटेल के

Paramshanti Motivation & Meditation YouTube चैनल पर सुन सकते हैं।

साथ ही अन्य चैनल जैसे —

Spiritual Podcasts from Anant

Supreme Transformation & Meditation

Maa ka Divine Message

ये सब बापूजी की परमशांति की साधना और अनंत ज्ञान पर आधारित हैं।

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